हिन्दू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में किसी दोष के कारण विवाह में अड़चने आती है जिसके कारण विवाह में विलम्भ होता है। अगर लड़के लड़की का विवाह समय से हो जाये तो माता पिता के साथ साथ खुद अपनी कई चिताएं समाप्त हो जाती है | मान्यता है की यह हमारे भाग्य पर निर्भर होता है की किसका विवाह कब और किससे होगा | ज्योतिष शस्त्र के अनुसार विवाह की संभावित तिथि बताई जा सकती है | अगर विवाह में विलंभ आ रहा हो तो ज्योतिष से पता कर सकते है की कोन से ग्रह बाधा के कारण ऐसा हो रहा है |
कहा जाता है कि संस्कार से ही समाज में बड़े-छोटे, पढ़े-लिखे की पहचान होती है। भारतीय समाज में इन्हीं संस्कारों की वजह से प्राचीन काल से एक से बढ़कर एक वीर, तपस्वी, न्यायप्रिय शासक, विवेकशील व्यापारी, स्वामी भक्त सेवक, कवि, दार्शनिक और वैज्ञानिक पैदा होते रहे हैं। संस्कारों की ही वजह से हजारों वर्षों की परतंत्रता भी हमारी सभ्यता संस्कृति को मिटा ना सकी। जीवन-लक्ष्य की प्राप्ति में ये संस्कार हमारी मदद करते हैं।
कुल सोलह संस्कार माने गए हैं जो वेदों के जमाने से चली आ रही हैं। ये संस्कार हमारे जीवन, वैभव और व्यक्तित्व विकास से सीधे जुड़े हुए हैं। इन्हीं संस्कारों में विवाह संस्कार प्रमुख है क्योंकि इससे ही मनुष्य गृहस्थाश्रम का आरम्भ करता है। कई महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक कर्तव्यों का निर्वहन केवल युगल रूप में ही संभव है। विवाह के द्वारा दो शरीर ही नहीं बल्कि दो आत्माओं का जन्म-जन्मान्तर का मिलन कराया जाता है। इसलिए सही जीवन-साथी के चयन हेतु ज्योतिषी वर-वधु के गुण, गोत्र, वर्ण आदि पर विचार करते हैं। विवाह पूर्व जितनी सावधानी से वर-वधु मिलान करेंगे, टूटने की सम्भावना उतनी कम होगी।
मूल, अनुराधा, मृगशिरा, रेवती, हस्त, उत्तरफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, स्वाति, मघा और रोहिणी नक्षत्रों में तथा ज्येष्ठ, माघ, फाल्गुन, वैशाख, मार्गशीष और आषाढ़ महीनों में विवाह संपन्न करना शुभ माना गया है। विवाह में वधू के लिए गुरुबल, वर के लिए सूर्यबाल तथा दोनों के लिए चंद्रबल पर विचार करना चाहिए। आधुनिक पंचांग में विवाह मुहूर्त लिखे रहते हैं। सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त का ही चयन करना चाहिए। किसी विवशता में ही माध्यम और निम्न मुहूर्तों का चयन करना चाहिए।
गुरु महाराज कन्या की राशि से द्वितीय, सप्तम, नवम, पंचम, और एकादश में शुभ होता है तथा प्रथम, तृतीय, षष्ठ और दशम में दान देने से शुभ होता है। गुरु कन्या की राशि से चतुर्थ, अष्टम और द्वादश अशुभ होता है।
सूर्य वर की राशि से तृतीय, षष्ठ, दशम, एकादश शुभ माने जाते हैं। यदि सूर्य वर की राशि से प्रथम, द्वितीय, पंचम, सप्तम और नवम हो तो दान देने से शुभ हो जाते हैं। यदि सूर्य वर की राशि से चतुर्थ, अष्टम और द्वादश हों तो अशुभ माने जाते हैं।
चन्द्रमा वर और कन्या की राशि से तीसरा, छठा, सातवाँ, दसवां, ग्यारहवां शुभ होता है और पहला, दूसरा, पांचवां, नौवां दान देने से शुभ होता है। लेकिन चौथा, आठवां और बारहवां अशुभ ही होता है।
तुला, मिथुन, कन्या, वृषभ एवं धनु लग्न शुभ हैं। अन्य लग्न माध्यम माने जाते हैं।
लग्न से बारहवें शनि, दसवें मंगल, तीसरे शुक्र, लग्न में चंद्रमा और क्रूर ग्रह अच्छे नहीं होते हैं। लग्नेश, शुक्र और चन्द्रमा छठे और आठवें में शुभ नहीं होते। लग्नेश और सौम्य ग्रह आठवें में अच्छे नहीं होते हैं तथा सातवें में कोई भी ग्रह शुभ नहीं होता है।
प्रथम, चौथे, पांचवें, नावें और दसवें स्थान में स्थित बृहस्पति सभी दोषों को नष्ट करते हैं। सूर्य ग्यारहवें स्थान में स्थित तथा चंद्रमा वर्गोत्तम लग्न में स्थित नवांश दोषों को नष्ट करता है। बुध या शुक्र या गुरु लग्न, चौथे, पांचवें, नवें और दसवें स्थान में स्थित हो तो सभी दोषों को दूर करते हैं। लग्न का स्वामी अथवा नवांश का स्वामी यदि लग्न, चौथे, दसवें या ग्यारहवें स्थान में हों तो अनेक दोषों को भस्म कर डालते हैं।अच्छे ज्योतिषियों को इन सभी विषयों पर भलीभांति विचार करके ही आगे बढ़ना चाहिए ताकि आगे वैवाहिक जीवन में शुभता बनी रहे।
बदलते परिवेश में आर्थिक बाध्यताओं, सहनशीलता की कमी आदि से भी वैवाहिक सम्बन्ध कमजोर होते जा रहे हैं। इससे वर-वधू के परिवारों के बीच भी विवाद उत्पन्न हो जाता है। सामाजिक रूप से फिर कई बार अपमानजनक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, फिर दुःख दर्द का दौर लम्बे समय तक दोनों परिवारों को प्रभावित करता है। अगर ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो कुंडलियों का सही मिलान नहीं होना, नाड़ी दोष होना, स्त्री या पुरुष की जन्मकुंडली के सप्तम स्थान में दूषित ग्रहों का होना, सप्तम भाव में ग्रहण दोष होना जैसे अनेक कारण हो सकते हैं। इसलिए विवाह सम्बन्ध के हर पक्ष को शुरू से शास्त्रीय आधार को ध्यान में रखते हैं तो विवाह के टूटने की सम्भावना कम हो जाती है।
Astrologer Anjali Ji has predicted various things that actually become true. Thus people who get to her always get the genuine solution to the problem. She is able to handle every single problem. She always follows the right strategy whenever it comes to the solution to the problem.
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