कुंडली एक ऐसा शब्द जो ज्योतिष का जिक्र आते ही जहन में आता है। कुंडली ज्योतिषशास्त्र रूपी दिये की वह बाती है जिसे जलाकर भविष्य पर प्रकाश डाला जाता है। कुंडली को आमतौर पर जन्मपत्री भी कहते हैं। लोकभाषा में पत्रा भी बोलते हैं।
जन्म कुंडली (Janam Kundli in Hindi) या जन्मपत्री जैसा की इन शब्दों में ही इसका अर्थ भी नीहित है। यह किसी भी जातक के जन्म के ब्यौरे को प्रदर्शित करती है। मसलन जातक का जन्म किस तिथि, किस समय, किस स्थान पर हुआ? जन्मपत्री वर्तमान में बच्चे के जन्म के समय अस्पताल में भी बनती है यहां उस जन्मपत्री की बात नहीं हो रही है। हालांकि जातक की जन्म तिथि, समय व स्थान की जानकारी के लिये इसकी मदद ली जा सकती है लेकिन ज्योतिषीय जन्मपत्री या कुंडली इससे अलग चीज़ है। कुंडली में जातक के जन्म की तिथि, समय व स्थान को आधार बनाकर ग्रह नक्षत्रों की गणना की जाती है। जैसे कि जातक का जन्म किस नक्षत्र में हुआ, किस लग्न में हुआ किस राशि में हुआ। लग्न व राशि से नवग्रहों की स्थिति कुंडली के किन भावों में है। जन्म कुंडली में ग्रह कौनसे योग बना रहे हैं। कुंडली में कौनसे दोष मौजूद हैं आदि अनेक विचार कुंडली बनाकर किये जाते हैं। कुल मिलाकर कह सकते हैं कुंडली जातक के जन्म के समय ग्रहों की दशा व दिशा को बताने वाली एक पत्रिका होती है जिसके आधार पर जातक के भविष्य की कल्पना की जाती है।
समय, स्थान और पृथ्वी, बच्चे के जन्म के लिए एक उपयुक्त क्षण बनाने के लिए एक साथ मिलते हैं, कोई भी दो बच्चे एक जैसा भाग्य प्राप्त नहीं करते हैं। ग्रहों की स्थिति द्वारा शासित उस विशेष पल में, बच्चे के जन्म के समय, उसके कार्यों और भाग्य व पूरा जीवन निर्धारित किया जाता है। किसी बच्चे के जन्म लेने पर, सबसे पहले एक ज्योतिषी से सलाह ली जाती है, एक अच्छा सा नाम रखने के लिए, और फिर उसकी जन्म कुंडली भविष्यवाणी (प्रेडिक्शन), या कुंडली तैयार करने के लिए, जो उसके जीवन और घटनाओं को रेखांकित करती है। कुंडली को, वास्तव में, अंतरिक्ष में एक विशेष क्षण में स्वर्गीय निकायों और ग्रहों का एक स्नैपशॉट कहा जा सकता है।
मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए जहाँ कड़ी मेहनत की जरूरत होती है वहीं बड़ों का आशीर्वाद भी काफी मायने रखता है। इसके अलावा ज्योतिष शास्त्र की मदद से आप वर्तमान की गलतियों को सुधार कर अपना भविष्य सँवार सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र की मदद से किसी का भविष्य जानना है तो इसके लिए जन्मकुंडली की जरूरत पड़ती है। जन्मकुंडली दरअसल जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय के आधार पर बनाया जाने वाला एक ज्योतिषीय चार्ट है जिसमें उल्लिखित अंकों के माध्यम से व्यक्ति का पूरा ब्यौरा जाना जा सकता है। आइए इस सेक्शन में समझते हैं कुण्डली से जुड़ी कुछ खास बातें और ज्ञानवर्धन व मार्गदर्शन करने वाली जानकारियाँ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक के जीवन में जो कुछ घटित होता है वह ग्रहों की दशा व दिशा के प्रभावानुसार ही होता है। कोई देखते ही देखते रंक से राजा बन जाता है तो कोई राजा से रंक। किसी से खुशियां समेटी नहीं जाती तो किसी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। ऐसे में यदि जातक को ऐसे संकेत भी मिल जायें निकट भविष्य में उसके लिये समय कैसा रहेगा? उसे आने वाले समय में क्या करना चाहिये क्या नहीं करना चाहिये? तो निश्चित तौर पर वह आगे की सुध लेगा। कुंडली से यह पता लगाना संभव है कि जातक के लिये भविष्य में क्या संभावनाएं हैं। किस क्षेत्र में उसे लाभ मिलने के आसार हैं तो कहां से उसे बचकर निकलने की आवश्यकता है।
हमारे इस कुंडली सेक्शन में आप कुंडली से संबंधी तमाम जानकारियों को पढ़ सकेंगें ताकि आप भी अपनी कुंडली का विश्लेषण अच्छे से कर सकें। यदि आपको अपनी कुंडली की बेसिक जानकारी या समझ होगी तो कोई भी पोंगा पंडित आपको चीट नहीं कर सकेगा। इस सेक्शन में आप कुंडली क्या है? जन्मकुंडली कैसे बनती है? कुंडली कितने प्रकार की होती है? कुंडली में योग कैसे बनते हैं? कुंडली में दोष कौनसे होते हैं? आदि कुंडली संबंधी प्रश्नों के उत्तर मिल सकते हैं।
हालांकि कुंडली के बारे में हम यहां जो जानकारियां साझा कर रहे हैं वह बहुत ही सीमित हैं और ज्योतिषशास्त्र के ज्ञान का सागर बहुत ही विशाल है। इसलिये हमारी सलाह है कि एस्ट्रोयोगी पर इंडिया के बेस्ट ऐस्ट्रोलॉजर्स के कुंडली के बारे में आप अच्छे से मार्गदर्शन ले सकते हैं।
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